किसी भी स्टूडेंट की मेमोरी, नॉलेज और लर्निंग में इंफॉर्मेशन को रीटेन और रिकॉल करने की क्षमता का अहम योगदान है। लेकिन क्या स्टूडेंट्स जानते हैं कि वे कैसे सीख सकते हैं, उनके लिए क्या कारगर है और उन्हें कौनसी स्ट्रैटजीज काम में लेनी हैं? इन्हीं सवालों का जवाब तलाशते हुए कुछ वर्ष पूर्व केंट स्टेट यूनिवर्सिटी, ड्यूक यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ विसकॉन्सिन और यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया ने सैकड़ों स्टडीज का एक रिव्यू पब्लिश किया जिसमें उन स्ट्रैटजीज की बात की गई है जो लॉन्ग टाइम लर्निंग में स्टूडेंट्स के लिए मददगार हैं।
सबसे प्रभावशाली दो टेक्नीक्स
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टेस्टिंग की प्रैक्टिस : इसमें स्टूडेंट्स को सवालों को जवाब जेनरेट करने की प्रैक्टिस करनी होगी। ये सवाल पुराने पेपर्स, मल्टीपल चॉइस क्वेशचंस हल करना या एस्से क्वेशचंस की प्रैक्टिस शामिल है। गहन रिसर्च के बाद इस टेक्नीक को लर्निंग में सुधार के लिए सबसे प्रभावशाली माना गया।
- टुकड़ों में करें प्रैक्टिस : स्टूडेंट्स अपने काम (जैसे याद करना) का बड़ा हिस्सा एक बार में करने की बजाए उसे हिस्सों में बांटकर समय के कुछ अंतराल पर करें। अपनी लर्निंग को फैलाकर स्टूडेंट्स उसे देर तक याद रख सकते हैं। मसलन एक दिन में लगातार आठ घंटे तक याद करने से बेहतर है आठ दिन तक उसे रोज एक घंटे याद करना।
कुछ हद तक कारगर तरीके
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खुद से विस्तार से पूछताछ : किसी भी टॉपिक के बारे में खुद से पूछे कि ऐसा क्यों है? यह सही क्यों है? इससे आपको मटीरियल के बारे में सोचने और पहले सीखे गए टॉपिक में सुधार करने में मदद मिलती है।
- अलग-अलग प्रॉब्लम्स सॉल्व करना : ऐसा करके आप एक ही तरह के सवाल पर अपने समय को बांधने से बच सकेंगे साथ ही जो आप पढ़ रहे हैं उसके बीच समानता या असमानता को भी पहचान सकेंगे।
ये टेक्नीक्स नहीं हैं मददगार
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हाईलाइटिंग या अंडरलाइनिंग: यह तरीका लॉन्ग टर्म लर्निंग में कारगर नहीं है क्योंकि इसे ऑटोपायलेट मोड पर किया जाता है और यह सीखे हुए में सुधार करने या नई लर्निंग में संदर्भ हासिल करने में मदद नहीं करता है।
- दोबारा रीडिंग लगाना: कई बार ऐसा माना जाता है कि दो बार रीडिंग लगाने से कोई टॉपिक याद हाे गया है लेकिन बहुत बार यह सरसरी रीडिंग होती है जो आपको विषय को गहराई से जानने में मदद नहीं करती है।
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